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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: देश के सभी राज्यों में पटाखों को नियंत्रित करने के निर्देश

नई दिल्ली, 8 नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में घोषणा की कि देश के सभी राज्यों में पटाखों के प्रयोग को नियंत्रित करने के लिए जारी किए गए निर्देशों को लागू किया जाएगा।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ये निर्देश धार्मिक मान्यताओं के अपेक्षाकृत समान रूप से सभी नागरिकों के लिए लागू होंगे, चाहे उनकी धार्मिक प्राथमिकताएँ कुछ भी हों। उन्होंने पटाखों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के दृष्टिकोण को मद्देनजर रखा है और निर्देशों का पालन करने को आवश्यक माना है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2021 में एक आदेश में कहा था कि दिवाली और अन्य त्योहारों के दौरान पटाखों का उपयोग रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नहीं किया जा सकता है और केवल ग्रीन पटाखों का ही प्रयोग किया जा सकता है।

कोर्ट ने इस नए आदेश में कहा है कि यह निर्देश देश के सभी राज्यों में लागू होंगे और राज्य सरकारों को इन निर्देशों को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है।

यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पटाखों के उपयोग पर विभागीय नियंत्रण आने की आशा है। इस आदेश का स्वागत पर्यावरणविदों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने फायरक्राकरों के साथ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि देश के सभी राज्यों पर फायरक्राकों के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा।

इस आदेश को सुनवाई करते समय, याचिका में दिवाली और अन्य त्योहारों के दौरान वायु प्रदूषण और शोर प्रदूषण के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। इसलिए, इन प्राधिकृत निर्देशों का पालन करना आवश्यक माना गया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि फायरक्राकरों के निर्माण, बिक्री और उपयोग को लेकर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और इन दिशानिर्देशों का पालन सभी राज्यों को करना होगा।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि फायरक्राकरों के निर्माण के लिए केवल लाइसेंस प्राप्त इकाइयों को ही इस्तेमाल करने की अनुमति होगी और इन इकाइयों को पर्यावरण मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया है कि फायरक्राकरों की बिक्री के लिए भी लाइसेंस की आवश्यकता होगी और फायरक्राकरों को केवल लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं से ही खरीदा जा सकेगा।

कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया है कि फायरक्राकरों का उपयोग केवल निर्धारित समय और स्थान पर ही किया जा सकेगा और रात 10 बजे के बाद पटाखों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

कोर्ट ने सुरक्षा उपायों का पालन करने की महत्वपूर्ण दिशा में भी निर्देश दिया है और फायरक्राकों से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को ही जिम्मेदार माना गया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करने की उम्मीद है और इसे एक प्रगति के कदम के रूप में स्वागत किया जा रहा है।

पटाखों से होने वाले नुकसान

पटाखों से होने वाले नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • वायु प्रदूषण: पटाखों से निकलने वाला धुआं और अन्य प्रदूषक वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। वायु प्रदूषण से सांस की समस्याएं, दिल की समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • ध्वनि प्रदूषण: पटाखों से निकलने वाली तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। ध्वनि प्रदूषण से सुनने की समस्याएं, तनाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • पर्यावरणीय नुकसान: पटाखों से निकलने वाले प्रदूषक वायु और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। वायु और जल प्रदूषण से वनस्पति और जीव जंतुओं को नुकसान पहुंच सकता है।

पटाखों के इस्तेमाल को कम करने के उपाय

पटाखों के इस्तेमाल को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • लोगों को पटाखों के नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए।
  • सरकारें पटाखों पर प्रतिबंध लगाएं या उनकी बिक्री पर नियंत्रण लगाएं।
  • लोगों को ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उम्मीद है कि पटाखों के इस्तेमाल को कम करने में मदद मिलेगी और इससे वायु, जल और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।

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