28 अक्टूबर, 2023 को आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि और शनिवार का दिन है। इस दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा को दीपावली के चार दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है और इस दिन चंद्रमा की रोशनी बहुत ही सुंदर होती है।
इस वर्ष, शरद पूर्णिमा के दिन खग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, मंगोलिया, जापान, रूस, कनाडा और आइसलैंड सहित कई देशों में दिखाई देगा। ग्रहण का समय भारत में सुबह 10:59 बजे से शुरू होगा और दोपहर 2:02 बजे तक रहेगा। ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 5 मिनट होगी।
खग्रास चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह से छिप जाता है। इस दिन चंद्रमा लाल दिखाई देता है। इस घटना को “लाल चंद्रमा” भी कहा जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने की परंपरा है। इस दिन लोग चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और चांदनी में रात बिताते हैं। इस दिन लोग चांदनी में स्नान करने और चांदनी में भोजन करने का भी आनंद लेते हैं।
इस दिन चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करेगा और खग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य एशियाई देशों में दिखाई देगा।
ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देगा। इसका कारण यह है कि सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी की छाया से गुजरने के बाद चंद्रमा तक पहुंचने में समय लगता है। इस दौरान प्रकाश का अधिकांश भाग पृथ्वी द्वारा अवशोषित हो जाता है, और जो प्रकाश चंद्रमा तक पहुंचता है वह लाल दिखाई देता है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में, शरद पूर्णिमा को एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन, लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। लोग इस दिन चांदनी रात में फल, फूल और प्रसाद चढ़ाते हैं। शरद पूर्णिमा को भी पितृपक्ष की शुरुआत का दिन माना जाता है। इस दिन, लोग अपने मृत पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। लोग इस दिन पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन के शुभ मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक
- शुभ मुहूर्त: सुबह 11:03 बजे से दोपहर 1:03 बजे तक
- अमृत काल: सुबह 10:59 बजे से दोपहर 12:59 बजे तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 10:59 बजे से दोपहर 12:59 बजे तक
खग्रास चंद्र ग्रहण का महत्व
खग्रास चंद्र ग्रहण को हिंदू धर्म में एक शुभ घटना माना जाता है। इस दिन, लोग पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं।
ग्रहण के दृश्य
ग्रहण का सबसे अच्छा दृश्य पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में दिखाई देगा। भारत में, ग्रहण का सबसे अच्छा समय सुबह 11:31 बजे से दोपहर 02:34 बजे तक होगा। ग्रहण का दृश्य देखने के लिए, आप किसी सुरक्षित स्थान पर जाएं जहां आप क्षितिज को स्पष्ट रूप से देख सकें। आप एक खगोलीय दूरबीन या टेलीस्कोप का भी उपयोग कर सकते हैं।
ग्रहण के दौरान सावधानियां
- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलने से बचना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के बाद की सावधानियां
- ग्रहण के बाद तुरंत स्नान करना चाहिए।
- ग्रहण के बाद ताजे फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- ग्रहण के बाद पूजा-पाठ करना चाहिए।
सुरक्षा सावधानियां
ग्रहण के दौरान कुछ सुरक्षा सावधानियां बरतनी चाहिए। आपको ग्रहण को सीधे अपनी आंखों से नहीं देखना चाहिए। ग्रहण को देखने के लिए, आपको एक सुरक्षित सनग्लास या चश्मा का उपयोग करना चाहिए। आप ग्रहण को देखने के लिए एक टेलीस्कोप या खगोलीय दूरबीन का भी उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप टेलीस्कोप या दूरबीन को सुरक्षित ढंग से उपयोग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
28 अक्टूबर 2023 को शरद पूर्णिमा और खग्रास चंद्र ग्रहण दोनों का एक विशेष महत्व है। इस दिन, आप अपने प्रियजनों के साथ समय बिता सकते हैं, प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं और धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं।