नई दिल्ली, 10 नवंबर 2023: दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की टीम ने इसके लिए एक योजना तैयार की है।
योजना के मुताबिक, 20 और 21 नवंबर को राजधानी के आसमान में कृत्रिम बादलों को बनाने के लिए विमानों से रसायनों का छिड़काव किया जाएगा। इस प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहा जाता है।
क्लाउड सीडिंग में, विमानों से या जमीन से रसायनों का छिड़काव किया जाता है। ये रसायन बादलों में मौजूद पानी के अणुओं को एक साथ लाने में मदद करते हैं। इससे बादल भारी हो जाते हैं और बारिश होने लगती है।
दिल्ली सरकार का मानना है कि कृत्रिम बारिश से प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी। बारिश के पानी से धूल और प्रदूषण के कण हवा में से नीचे गिर जाएंगे। इससे वातावरण में स्वच्छ हवा का प्रवाह बढ़ेगा।
दिल्ली सरकार ने कृत्रिम बारिश कराने के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस योजना के लिए आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।
आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बताया कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। राजधानी में अक्सर बादल होते हैं, और हवा की गति भी पर्याप्त है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि कृत्रिम बारिश से प्रदूषण से पूरी तरह से निजात नहीं मिल सकती है। इसके लिए अन्य उपायों पर भी ध्यान देना होगा।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय है। हर साल सर्दियों में यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खराब हो जाता है। इससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि वह कृत्रिम बारिश के अलावा अन्य उपायों पर भी काम कर रही है। इनमें प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगाना, उद्योगों से धुएं के उत्सर्जन को कम करना और पेड़ लगाना शामिल है।
दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने की योजना पर्यावरणविदों में भी चर्चा का विषय है। कुछ पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी। वहीं, कुछ का मानना है कि इससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।
पर्यावरणविदों की प्रतिक्रिया
पर्यावरणविदों का कहना है कि कृत्रिम बारिश से प्रदूषण के स्तर में कुछ हद तक कमी आ सकती है। लेकिन, इससे पूरी तरह से निजात नहीं मिल सकती है।
पर्यावरणविदों ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए अन्य उपायों पर भी ध्यान देना होगा। इनमें प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगाना, उद्योगों से धुएं के उत्सर्जन को कम करना और पेड़ लगाना शामिल है।
पर्यावरणविदों ने कहा कि कृत्रिम बारिश से पर्यावरण को नुकसान भी हो सकता है। इससे बादलों में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषणकारी पदार्थों का स्तर बढ़ सकता है। इससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
कुल मिलाकर, दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने की योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है। इससे प्रदूषण के स्तर में कुछ हद तक कमी आ सकती है। लेकिन, इससे पूरी तरह से निजात नहीं मिल सकती है।